खुले बोरवेल के खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने सख्त नियम बनाया, ऐसा नियम बनाने वाला संभवतः पहला राज्य

 भोपाल

एमपी में पिछले कुछ महीनों में खुले बोरवेल रखने की लापरवाही के कारण कई मासूमों ने अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इसे लेकर मोहन सरकार सख्त होती दिख रही है। मध्य प्रदेश सरकार ने खुले बोरवेल में होने वाली मौतों को रोकने के लिए खुले ट्यूबवेल में गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं के लिए रोकथाम और सुरक्षा विधेयक नामक एक अभूतपूर्व कानून पेश किया है, जो भारत में अपनी तरह का पहला कानून है। मोहन यादव सरकार खुले बोरवेल में होने वाली मौतों को रोकने के लिए एक नया कानून  लाइ है। यह कानून अपने आप में भारत का पहला कानून होगा क्योंकि एमपी में पिछले सात महीनों में ऐसी नौ से अधिक घटनाएं सामने आई हैं।

मध्य प्रदेश में अब बोरवेल खुला छोड़ने के कारण कोई दुर्घटना हुई तो भूस्वामी और खनन एजेंसी के जिम्मेदार व्यक्ति को भारतीय न्याय संहिता के तहत दो से 10 वर्ष तक कैद और अर्थदंड दोनों हो सकता है।

बोरवेल या ट्यूबवेल खनन के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से ऑनलाइन अनुमति लेनी होगी। ऐसा न करने पर अर्थदंड व कैद की सजा का प्रावधान किया गया है।

यदि असफल बोरवेल बंद नहीं किए गए, तो संबंधित एजेंसी पर प्रथम अपराध के लिए 10 हजार रुपये और इसके बाद हर अपराध के लिए 25 हजार रुपये अर्थदंड लगाया जाएगा।

बोरवेल के पास लगाना होगा ऐसा साइन बोर्ड

    बोरवेल के पास भूस्वामी व खनन एजेंसी को संपर्क नंबर, पूरा पता विवरण के साथ साइन बोर्ड लगाना होगा। ये नियम खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम और सुरक्षा अधिनियम-2024 के तहत बनाए गए हैं।

    नए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार इतने कड़े नियम बनाने वाला मध्य प्रदेश संभवतः पहला राज्य है। इसके अनुसार बोरवेल खोदाई से कोई दुर्घटना न हो, इसके लिए सुरक्षा उपाय करने होंगे।

    खनन स्थल के चारों ओर कांटेदार बाड़ या अन्य अवरोध लगाना होना। केसिंग पाइप के चारों ओर कांक्रीट प्लेटफार्म का निर्माण करना होगा। वेल्डिंग द्वारा या नट-बोल्ट से केसिंग पाइप पर स्टील प्लेट का मजबूत ढक्कन से बंद करना होगा।

    नए कानून में बिना अनुमति बोरवेल खनन करवाने वाले के विरुद्ध कोई भी व्यक्ति पोर्टल पर शिकायत कर सकेगा। शिकायत सही पाए जाने पर शिकायतकर्ता को पुरस्कृत किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद बनाया अधिनियम

सुप्रीम कोर्ट ने खुले या अधूरे बोरवेल में बच्चों के गिरने की जानलेवा दुर्घटनाओं को रोकने के लिए 11 फरवरी, 2010 एवं छह अगस्त, 2010 को निर्देशित किया था कि ऐसी दुर्घटनाओं को कानून बनाकर रोका जाना चाहिए। इसी तारतम्य में राज्य सरकार ने विधानसभा में विधेयक प्रस्तुत कर जुलाई, 2024 में 'मध्य प्रदेश खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा अधिनियम, 2024' लागू किया था।

अब इसके नियमों की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसका पालन न करने वालों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 और साधारण खंड अधिनियम, 1957 की विभिन्न धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।

खनन एजेंसी को पोर्टल पर देनी होंगी ये जानकारियां

    खोदाई के दौरान किए गए सुरक्षा उपायों की जियो टैग तस्वीरें अपलोड करनी होंगी।

    खोदाई पूरी होने के बाद गहराई, परिणाम, कार्यक्षमता और असफल ट्यूबवेल, बोरवेल उचित रूप से सीलबंद, ढंके हुए हो उसकी जियो टैग फोटो अपलोड करनी होगी।

क्या है खास इस कानून में

इस कानून का नाम होगा 'खुले नलकूप में इंसानों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं सुरक्षा विधेयक'। इस कानून के बनने के बाद मध्य प्रदेश ऐसा पहला राज्य होगा जिसके पास ऐसा कानून होगा। इस कानून में खुले या सूखे बोरवेल को ढूंढने और उन्हें बंद न करने वालों पर सख्त जुर्माना लगाने की बात कही गई है। अगर बोरवेल किसी की निजी जमीन पर है तो जमीन मालिक पर जुर्माना लगेगा और अगर सरकारी जमीन पर है तो संबंधित विभाग और अधिकारी पर जुर्माना लगेगा।
दर्ज होगा अपराधिक मामला

अगर कोई खुले बोरवेल में गिर जाता है तो इस कानून में अपराधिक मामला दर्ज करने की बात कही गई है। अभी तक ऐसे मामलों में लापरवाही का केस दर्ज होता था लेकिन नए कानून के तहत कड़ी धाराओं में मामला दर्ज होगा। इसके अलावा बोरवेल खोदने वाली एजेंसी को भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। लोगों को खुले बोरवेल की जानकारी सरकार को देने की सुविधा दी जाएगी ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके। जुर्माने और सजा की जानकारी बाद में दी जाएगी।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button